प्रभु की बड़ी कृपा जब होती है तब सच्चे सन्त के सतसंग में आदमी पहुंच पाता है और वापस लौटने पर काम बना बनाया दिखाई पड़ता है : बाबा उमाकान्त जी महाराज

  • राम, कृष्ण, सत्य नारायण, भागवत कथा, प्रवचन, इतिहास आदि से अलग होता है सतसंग
  • ये काल और माया सतसंग में जाने से रोकने के लिए बराबर विघ्न डालते रहते हैं

समस्तीपुर (बिहार)। आजकल प्रचलित कथा, प्रवचनों, महात्माओं के इतिहास से अलग, सच्चे सन्त के सतसंग की महिमा बताने वाले, दुनिया कमाने के लिए दिन-रात अनवरत दौड़ने वाले इंसान को शाश्वत सत्य भगवान, गुरु और मृत्यु की याद दिलाने वाले, आखरी वक़्त में पछताना न पड़े- इसका उपाय बताने वाले उज्जैन के बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 2 मार्च 2021 को समस्तीपुर (बिहार) में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि प्रभु की बडी अनुकंपा, मेहरबानी होती है तब सतसंग में आदमी पहुंचता है। सतसंग में इस समय लोगों का मन नहीं लगता है क्योंकि सतसंग की बातें आजकल की कथा, भागवत, प्रवचन से अलग होती हैं। जो अक्सर लोग सुनते रहते हैं सत्यनारायण, राम, कृष्ण, महाभारत की कथा-प्रवचन, अन्य महात्माओं का इतिहास आदि लोग सुनाते हैं, उससे सतसंग अलग होता है।

जहां सत्य बात बताई जाती है उसको कहते हैं सतसंग

सतसंग का मतलब क्या होता है? सत्य वचन, जो झूठा न हो। जो सत्य हो, वह बात बताई जाए, वह सतसंग होता है। सत्य से मिला देने का काम जहां पर होता है, जो करता, कराता, समझाता है वह सतसंग होता है

इस दौड़-धूप भरी जिंदगी में जो सत्य है उसको ही भूला हुआ है इंसान

सत्य क्या है? सत्य है मौत और सत्य है वह परमात्मा। आप बहुत से लोग सत्य को ही भूले हुए हो। आजकल की व्यस्त, दौड़-धूप की जिंदगी में किसी को मौत और परमात्मा याद नहीं आ रहा है। जब तकलीफ आने पर या कोई तीज-त्यौहार पर आपको वह याद आता है। प्रभु को हमेशा याद रखो, सामने रखो, मौत को हमेशा हथेली पर रखो। कहा गया है देखते रहो, पता नहीं कब आ जाए।

यह काल माया का देश है, सतसंग में जाने से वो बराबर विध्न-बाधा डालते रहते हैं

सतसंग में आना बड़ा मुश्किल होता है लेकिन जब उसकी कृपा मेहरबानी हो जाती है, अंदर में प्रेरणा हो जाती है तब आदमी चल पड़ता है तो कुछ बिगड़ता नहीं है। लौट कर जाता है तो काम बना बनाया दिखाई पड़ता है। लेकिन शुरू में जल्दी विश्वास नहीं होता। जिसको विश्वास हो जाता है वह बराबर खबर लगते ही सतसंग में आया करता है। ये काल माया का देश है। इनका काम अच्छे काम में बाधा डालना होता है। तो यह बाधा डालते रहते हैं लेकिन जब गुरु की दया, प्रभु की अनुकंपा हो जाती है तब आदमी सतसंग में पहुंच जाता है।

दुनिया संसार से जब जाने का समय होता है तो कोई साथ नहीं देता है

आप प्रेमियों सोचो! "छोड़ कर संसार जब तू जाएगा, कोई न साथी तेरा साथ निभाएगा" प्रार्थना तो आप बोलते हो लेकिन सोचना चाहिए आपको। बात तो सही है। कोई भी साथी आखिरी वक्त पर साथ नहीं निभाता है। जिंदगी भर साथ देने वाले पत्नी-पति भी साथ नहीं देते हैं। एक साथ किसी की मौत दुर्घटना में भले ही हो जाए लेकिन ऐसे स्वाभाविक मौत एक साथ जल्दी नहीं होती, थोड़ा बहुत अंतर होता है।

नाशवान दुनिया की चीजों को इकट्ठा करने में लगे रहे तो समय निकल जाएगा फिर आखरी वक्त पछताना पड़ेगा

आप सोचो जैसे यहां साथ रहते, निभाते हो ऐसे आखिरी वक्त पर एक-दूसरे को साथ जाना चाहिए। क्यों नहीं जाते हो? उसका कारण है कि साथ छोड़ना पड़ता है। देखो जितने भी आए दुनिया में, सब छोड़ कर के चले गए। कहते तो रहे मेरा घर, जमीन, संपत्ति, मकान लेकिन कोई कुछ लेकर के गया? सब यही छोड़ गया। भूल और भ्रम में बराबर इस बात को कहता रहा। जिनको मेरा-मेरा कहता रहा आखरी समय पर कोई साथ नहीं दिया।

सन्त उमाकान्त जी के वचन

कलयुग में कलयुग जायेगा, कलयुग में सतयुग आएगा। मानव हत्या सबसे बड़ा गुनाह है। गुरु से सच्चा प्रेम करने पर ही अन्तर में प्रकाश प्रकट होता है। बाबा उमाकान्त जी महाराज का कहना है, शाकाहारी रहना है। सतसंग में वह शक्ति है जो लोगों का जीवन बदल देती है।

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